हिंदी विभाग, जम्मू विश्वविद्यालय, जम्मू के द्वारा 'कवि कर्म और कविता' विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया

हिंदी विभाग, जम्मू विश्वविद्यालय, जम्मू के द्वारा 'कवि कर्म और कविता' विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। प्रो.दुर्गा प्रसाद गुप्त वरिष्ठ कवि एवं आलोचक, हिन्दी विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया वि. वि, मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य वक्ता के विधिवत स्वागत से हुआ जोकि डॉ. बंदना ठाकुर द्वारा किया गया। मुख्य वक्ता ने कविता के संदर्भ में प्रेम के सात्विक स्वरूप की व्याख्या की। संबंधों के बीच संवेदनाओं की भाषा का विश्लेषण किया। उन्होनें कहा कि प्रेम के संगीत ने ही उनके संबंधों की बागडोर संभाली है। भविष्य को बचाने के लिए परंपरा को रचाना- बसाना आवश्यक है। कवि कर्म पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह कविता के संदर्भ में अनुकरण पर विश्वास नहीं करते। उन्होंने यह भी बताया किभाषा को अभ्यास के माध्यम से और परिपक्व बनाया जा सकता है।इनकी कविताएं पारिवारिक संबंधों से निकली कविताएं हैं । कवि कर्म की बात करते हुए उन्होंने स्वरचित कविता पाठ भी किया।

विभागाध्यक्ष हिंदी विभागडॉ. रजनी बालाने कविता की जीवन्तता पर प्रकाश डालते हुए कविता की भाषा पर सूक्ष्म विचार रखे। औपचारिक धन्यवाद डॉ. पुरुषोत्तम कुमार ने किया। मंच संचालन डॉ. भगवती देवी ने किया।यह कार्यक्रम विभाग की अध्यक्ष के कुशल निर्देशन में किया गया।डॉ. कोशिका शर्मा ने सभागार की व्यवस्था संभाली। इस कार्यक्रम से 70 से अधिक विद्यार्थी और शोधार्थी लाभांवित हुए ।