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Cradled in the lap of mountains at the foothills of auspicious Trikuta, besides the river Tawi at an altitude of 1030 ft. is Jammu. This 'city of temples' has many places...
09 अप्रैल 2025 को हिन्दी निदेशालय, जम्मू विश्वविद्यालय द्वारा "हिंदी भाषा: चुनौतियाँ और समाधान” विषय पर विचारमंथन सत्र का सफल आयोजन किया गया । सत्र की अध्यक्षता प्रो. सुचेता पठानिया (अधिष्ठाता, कला संकाय, जम्मू विश्वविद्यालय, जम्मू) ने की। कार्यक्रम की शुरुआत हिन्दी निदेशालय की निदेशक, प्रो. अंजु शर्मा द्वारा अध्यक्ष प्रो. सुचेता पठानिया और विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों से पधारे प्रधानाचार्य, प्राध्यापकों, सहायक आचार्यों और हिन्दी प्रेमी प्रतिभागियों के विधिवत स्वागत किया। इसके साथ ही हिन्दी निदेशालय में हो चुके कार्यक्रमों तथा भविष्य में निदेशालय की योजनाओं पर प्रकाश डाला। अध्यक्ष प्रो. सुचेता पठानिया ने व्यक्तिगत व बहुमूल्य सुझावों से हिन्दी की प्रासंगिकता पर अपने विचार साझा किये। उन्होंने कहा कि हिन्दी के विद्यार्थियों को मात्र हिन्दी शिक्षक बनने तक सीमित न रहकर हिन्दी में रोजगार के अन्य माध्यमों की तरफ़ भी बढ़ना होगा। हिन्दी विभाग, जम्मू विश्वविद्यालय के सह आचार्य डॉ. परषोतम कुमार ने हिन्दी भाषा को रोज़गार से जोड़ने की बात कही वहीँ हिन्दी विभाग, केंद्रीय विश्वविद्यालय, की सहायक आचार्य डॉ. वंदना शर्मा ने हिन्दी से जुड़े विभिन्न पक्षों पर बात करते हुए इस विषय को गंभीरता से लेने की बात की । कलस्टर विश्वविद्यालय से डॉ. बिंदु चिब और डॉ. ज्योति रानी ने हिन्दी के प्रति अपनी संकीर्ण मानसिकता को परिवर्तित करने की बात करने के साथ-साथ विभिन्न महाविद्यालयों में हिन्दी पदों के आंकड़े गिनाये । प्रतिष्ठित लेखक स्वामी अंतर नीरव ने भाषा की संरचना पर बात की और हिन्दी भाषा के साथ-साथ अन्य भाषाओं के शब्दों को अपनाने पर भी बल दिया। मीडिया से उपस्थित वरिष्ठ अधिकारी सुश्री मोनिका जामवाल ने पत्रकारिता के क्षेत्र में हिन्दी की भूमिका को स्पष्ट किया। अर्थशास्त्र के वरिष्ठ प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष(दर्शनशास्त्र) प्रो. जसबीर सिंह ने कहा कि हिन्दी भाषा को मात्र रोज़गार से न जोड़ा जाये और हिन्दी भाषा को समृद्ध बनाने के लिए हम सबको चेतनशील होना पड़ेगा । इस कार्यक्रम में दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र से अंग्रेजी की वरिष्ठ प्रो. अनुपमा वोहरा ने विदेशों में अपनी भाषा के प्रति प्रेम का उदहारण देते हुए यह समाधान दिया कि हम सबको हिन्दी भाषा को मन-मस्तिष्क से स्वीकार करना होगा । दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र की व्याख्याता डॉ. पूजा शर्मा ने हिंदी टंकण से सम्बंधित समस्याओं पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में डॉ. जसपाल सिंह, डॉ. जितेन्द्र सिंह, डॉ. राजवीर, सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों, मीडिया अधिकारियों, अध्यापकों, विद्यार्थियों, शोधार्थियों ने हिन्दी की वर्तमान स्थिति पर बात करते हुए कार्यक्रम को ऊर्जावान बनाया। मंच संचालन और धन्यवाद ज्ञापन हिन्दी निदेशालय की सह आचार्य डॉ. कोशिका शर्मा द्वारा किया गया ।